लखनऊ (ज़मीनी सच)-रिहाई मंच महासचिव राजीय यादव ने कहा कि हकीम तारिक कासमी की माता अपने बेटे की गिरफ्तारी के सदमे से कभी उबर नहीं पायीं थीं। निचली अदालतों द्वारा अजीवन कारावास की सज़ा दिए जाने से पहले ऐसे कई अवसर आए थे जिससे उनकी रिहाई की उम्मीद बंधी थी, लेकिन फैसले के बाद वह और टूट गयी थीं।
मंच महासचिव ने कहा कि 2012 में हकीम तारिक कासमी की गिरफ्तारी की सत्यता की जांच करने के लिए गठित निमेष आयोग ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सफारिश की थी। इसके अतरिक्त खोजी पत्रकार आशिष खेतान ने विभिन्न राज्यों की जांच एजेंसियों द्वारा संदिग्धों से पूछताछ के दस्तावेजों के आधार दावा किया था कि कचेहरी धमाकों के आरोप में पकड़े हूजी सभी कथित आरोपी बेगुनाह है और जांच एजेंसियों को भी इस सच्चाई की जानकारी है।
राजीव यादव ने कहा कि आशीष खेतान ने यूपी एटीएस की बदनीयती को देखते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दस्तावेज़ी सबूतों के साथ इस आशय की एक पत्र याचिका भी दाखिल की थी लेकिन उसे ठंढे बस्ते में डाल दिया गया।
उन्होंने कहा कि उनकी मां को अपने बेटे की हाईकोर्ट से इंसाफ मिलने की बहुत उम्मीद थी लेकिन उनके पास प्रतीक्षा के लिए न तो धैर्य बचा था न शक्ति। उनकी मृत्यु को स्वभाविक नहीं माना जा सकता। यह व्यवस्था द्वारा बार–बार चोट दिए जाने का नतीजा।