भाषा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह संपन्न

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पदक प्राप्त करके खिल उठे छात्र-छात्राओं के चेहरे
लखनऊ 22 मार्च। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में आज छटा दीक्षांत समारोह, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति  आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस दीक्षांत समारोह में पद्मश्री मालिनी अवस्थी बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहीं।
दीक्षांत समारोह में कुल 734 विद्यार्थियों को स्नातक एवं परास्नातक की उपाधियां प्रदान की गई। प्रदान किए गए कुल 93 पदकों में स्नातक पाठ्यक्रमों में 25 स्वर्ण, 16 रजत एवं 16 कांस्य तथा परास्नातक पाठ्यक्रमों में 14 स्वर्ण 11 रजत एवं 11 कांस्य शामिल है। इन पदकों के अतिरिक्त उर्दू विभाग के बीए ऑनर्स पाठ्यक्रम के प्रथम स्थान प्राप्त करता सैयद मोइनुद्दीन को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पदक प्रदान किया गया, शिक्षा शास्त्र विभाग के बीएड पाठ्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्त करता विवेक कुमार सिंह को कुलाधिपति पदक दिया गया तथा इसी इसी पाठ्यक्रम की छात्रा शिवानी सिंह को कुलपति पदक प्रदान किया गया।
अपने उद्बोधन में  कुलाधिपति ने सभी विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल विषयों की जानकारी देना नहीं है। शिक्षा के द्वारा हम मानव  कि मानसिक, व्यावसायिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है एवं हमारे स्नातकों की दुनिया भर में माँग है। साथ ही उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं और युवाओं को सेवा प्रदाता के रूप में ख़ुद को विकसित करना चाहिए। विद्यार्थियों को अपने सपनों को साकार करने और देश का विकास करने के लिए सही दिशा में अपने ज्ञान और ऊर्जा का प्रयोग करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए विभिन्न प्रकोष्ठों का गठन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय को पठन पाठन के अतिरिक्त भाषाओं के संरक्षण एवं प्रसार के लिए भी विशेष प्रयास करने चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय को 25 टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेकर देश को टीबी मुक्त बनाने में अपना योगदान देने को कहा और साथ ही साल में दो बार ब्लड डोनेशन कैंप लगाने का सुझाव दिया। विश्व जल दिवस पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को चाहिए कि 1 वर्ष में जितना जल प्रयोग होता है उतनी मात्रा में जल का संरक्षण करना भी सुनिश्चित करें। इसके साथ साथ उन्होंने सभी से 26 मार्च को अर्थ आवर डे पर 8:30 से 9:30 के बीच 1 घंटे के लिए अपने घर की सभी गैर जरूरी विद्युत उपकरण बंद रखने की अपील की।
विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या में कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने बताया कि किसी भी विश्वविद्यालय के जीवन में आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है जब वह अपने विद्यार्थियों को उनकी सफलता का प्रमाण पत्र सौपता है। स्वामी विवेकानंद जी का कथन दोहराते हुए उन्होंने कहा “जो शिक्षा साधारण व्यक्ति को जीवन संग्राम में समर्थ नहीं बना सकती, जो मनुष्य में चरित्र बल, परहित भावना तथा सिंह के समान साहस नहीं ला सकती, वह भी कोई शिक्षा है? जिस शिक्षा द्वारा जीवन में अपने पैरों पर खड़ा हुआ जाता है वही है शिक्षा।”
उन्होंने बताया कि कोविड-19 बावजूद विश्वविद्यालय में गत वर्ष की अपेक्षा 24% अधिक प्रवेश हुए एवं विभिन्न भाषाओं के प्रचार प्रसार हेतु उर्दू, अरबी, फारसी हिन्दी व अंग्रेज़ी के साथ-साथ वर्तमान सत्र से संस्कृत एवं फ्रेंच भाषाओं की पढ़ाई भी प्रारंभ कर दी गई है। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय में लगभग 40 से अधिक अन्य पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं एवं इस सत्र से कुछ नए प्रोफेशनल पाठ्यक्रम भी शामिल किए गए हैं, जिसमें एल एल एम और अभियंत्रिकी के अंतर्गत परास्नातक के पाठ्यक्रम भी शामिल है। विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार ना सिर्फ स्नातक स्तर बल्कि परास्नातक स्तर पर भी अपने पाठ्यक्रमों को संचालित कर रहा है। शोध कार्य को आगे बढ़ाते हुए 2021 में शिक्षकों द्वारा 20 पुस्तकें प्रकाशित की गई 124 शोध पत्र भी प्रकाशित हुए साथ ही 6 पेटेंट एवं चार सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी विश्वविद्यालय ने प्राप्त किए।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान विश्वविद्यालय ने यूट्यूब चैनल तथा अन्य ई लर्निंग के स्रोतों का उपयोग कर ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों पद्धतियों के माध्यम से शिक्षण कार्य संपादित कराया। इसके अलावा कोविड-19 में जिन विद्यार्थियों के माता अथवा पिता का निधन हुआ ऐसे विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय ने निशुल्क प्रवेश भी दिया।
विश्वविद्यालय ने अपने सामाजिक दायित्व को निभाते हुए आसपास के क्षेत्र एवं बस्तियों में कैंप लगाकर शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक जागरूकता तथा कुरीतियों के निवारण हेतु जनसंपर्क एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों इत्यादि के माध्यम से अपनी भूमिका सुनिश्चित करने के भी भरपूर प्रयास किए।
अंत में उन्होंने सभी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी और आशा जतायी कि वह समाज के पुनर्निर्माण में अपनी भूमिका को सार्थक सिद्ध करेंगे।
मुख्य अतिथि पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक राय द्वारा दिया गया दीक्षा उपदेश अपने आप में एक महामंत्र है। विद्यार्थी का धर्म, आजीवन छात्र भाव है और उम्र के साथ यदि ग्रहण करने की पात्रता भी बढ़ती रहे तो वह आजीवन बेहतर होता रहेगा। उन्होंने ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती द्वारा ईश्वर की एकात्मता के संदेश का संदर्भ देते हुए कहा कि “तू को इतना मिटा कि तू ना रहे।” अंत में उन्होंने कहा कि भारत बहुआयामी संस्कृति की धरती है और छात्रों को सभी संस्कृतियों का सम्मान करते हुए आगे बढ़ना चाहिए और लगातार ज्ञान अर्जित करना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ नीरज शुक्ल, सहायक आचार्य, वाणिज्य विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, प्रो निशि पांडे, प्रो पूनम टंडन एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों सहित, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्य उपस्थित रहे।

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