भदोही में सरकारी विभाग की ज़मीन को दो सौ करोड़ में बेचने का सनसनीखेज़ मामला आया सामने

जिले का एक सरकारी कार्यालय का सिंचाई विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारीयों की मिलीभगत से दो सौ करोड़ का सौदा

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भदोही (ज़मीनी सच)- उत्तर प्रदेश में भदोही जिले का एक सरकारी विभाग कार्यालय सहित उसकी कालोनी की तीन बीघा { 60 बिस्वा } ज़मीन को दो सौ करोड़ मे बेच दिए जाने का सनसनीखेज मामला  सामने आया है हालाँकि इस मामले में मुआवज़े को लेकर हाईकोर्ट ने जिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद के पक्ष में फैसला देते हुए ज़मीन पर अपना नाम चढाने सहित उसका मुआवज़ा दो सौ करोड़ मांगने वाले कालीन निर्यातक हाजी अब्दुल कलाम की याचिका ख़ारिज कर दी है। यह जानकारी शनिवार को भदोही के अपर जिला अधिकारी शैलेन्द्र कुमार मिश्रा ने देते हुए  बताया की इस मामले में वर्तमान में  उपजिला अधिकारी भदोही  आशीष मिश्रा   नहर विभाग के कुछ कर्मचारियों की संलिप्ता की जांच की जा रही है। मामले की जानकारी देते हुए अपर जिला अधिकारी शैलेन्द्र कुमार मिश्रा ने बताया की भदोही तहसील अंतर्गत सिविल लाइन स्थित गाटा संख्या 554/3 और 554/4 कुल तीन बीघा ज़मीन पर सिंचाई विभाग का ज्ञानपुर नहर प्रखंड कार्यालय और विभाग के अधिकारी ,कर्मचारियों की एक कालोनी बनी हुई है। उन्होंने बताया ग्राम समाज की उस ज़मीन पर 1956 से कार्यालय संचालित है। साल 2001 में जिले के एक बड़े कालीन निर्यातक हाजी अब्दुल कलाम ने तब के  जिला अधिकारी आशीष गोयल को साल 1970 में बनी  एक वसीयत  के आधार पर अपना नाम दर्ज कराने की अर्ज़ी दी ,बिना रजिस्टर्ड फ़र्ज़ी वसीयत  को निराधार पाते हुए आशीष गोयल ने अपील ख़ारिज कर दी थी। अपर जिला अधिकारी के मुताबिक साल 2007 में राजस्व परिषद् के एक सदस्य शम्भू नाथ .शुक्ला ने रिटायर्ड होने से पहले हाजी अब्दुल कलाम को दो सौ करोड़ रुपया मुआवज़ा देने का एक पक्षीय फैसला दे दिया जिसकी  जानकारी जिला प्रशासन सहित सिंचाई विभाग तक को नहीं हुई। इस मामले में उपजिला अधिकारी भदोही आशीष मिश्रा {वर्तमान में औराई } ने अपने ही सरकारी विभाग सिंचाई विभाग को पत्र लिखकर उससे कागज़ मांगे की अपना कागज़ दिखाएं। अपर जिला अधिकारी शैलेन्द्र कुमार मिश्रा ने कहा की इन अधिकारीयों द्वारा ऐसा करना समझ से परे है क्योंकि सरकारी ज़मीन के सभी रिकार्ड उनके कार्यालय में है। दो सौ करोड़ का मुआवज़ा लेने के लिए राजस्व  परिषद् और जिले के इन दो अधिकारीयों द्वारा अब्दुल कलाम का नाम दर्ज करने की कार्रवाई के बाद हाजी अब्दुल कलाम ने कोर्ट में जिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ अवमानना दाखिल कर दी। प्रयागराज की हाईकोर्ट के एकल पीठ के जज बी.के. बिड़ला ने जिला प्रशासन को मामले का निस्तारण न होने पर खुद जिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद को तलब करने का आदेश दिया था। जिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने  बताया की मामले की जांच अपर जिला अधिकारी शैलेन्द्र कुमार मिश्रा को दी गई। सिंचाई विभाग सहित सभी सरकारी दस्तावेज़ को हाईकोर्ट की एकल पीठ के जज बी.के. बिड़ला की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने सभी तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर 16 दिसंबर 2020 को ईस्टर्न एक्सपोर्ट के  हाजी अब्दुल कलाम की सभी याचिका {नाम चढाने सहित दो सौ करोड़ मुआवज़ा।ख़ारिज कर दी है। जिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने  बताया की इसी  मामले में उपजिला अधिकारी आशीष मिश्रा को वहां से हटा कर औराई का उपजिला अधिकारी बनाया गया है। उपजिला अधिकारी द्वारा एक सरकारी नहर  विभाग के अधिशासी अभियंता को पत्र भेज कर सरकारी ज़मीन का कागज़ात मांगने को लिखा गया पत्र जबकि सरकारी विभाग के तहसील कार्यालय में सभी रिकार्ड होते हुए भी ऐसा कार्य सरकारी आचरण के विरुद्ध है इसका संज्ञान लेकर शासन को अवगत कराने के साथ नहर विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत होने की जांच कराई जा रही है और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिला अधिकारी ने  यह भी कहा की इस सरकारी ज़मीन को लेकर फ़र्ज़ी वसीयत के आधार पर दो  सौ करोड़ का सरकार से मुआवज़ा लेने सहित कई मामलों में कालीन निर्यातक हाजी अब्दुल कलाम के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई किये जाने सहित यदि ज़रूरी हुआ तो मुकदमा कायम कराया जाएगा।  

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