विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य सुरक्षा के साथ शुरू किया जायःआनंदीबेन

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लखनऊः उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय, प्रयागराज द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का शुभारम्भ करते हुए कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना को साकार करने में अपना योगदान सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कौशल तकनीक संवर्द्धन, स्थानीय संसाधनों और श्रम शक्ति को सशक्त करते हुए इस अभियान में सहयोग करें जिससे समाज और राष्ट्र स्वस्थ, सतर्क और सशक्त बना रहे।
श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश की शिक्षा प्रणाली में प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार की अनेक सम्भावनाएं हैं। हमारे शिक्षाविद् आॅनलाइन कोर्सेज चलाने एवं आॅनलाइन परीक्षा कराने के विषय पर गम्भीरता से सोचें और अपने सुझाव रखें, जिससे शिक्षण एवं परीक्षा प्रणाली के भविष्य की रूपरेखा तैयार की जा सके। राज्यपाल ने कहा कि आॅनलाइन शिक्षा आदर्श विकल्प नहीं है, परन्तु इससे शिक्षा के स्वरूप को सकारात्मक दिशा दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण जन-जीवन और आजीविका को पहुंचने वाली चोट इस सदी की सबसे बड़ी चोट है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में विश्वविद्यालयों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि कोरोना संकट के समय राज्य विश्वविद्यालयों में वार्षिक परीक्षाएं प्रारम्भ हो चुकी थी या प्रारम्भ होने वाली थी। तब इस वैश्विक महामारी के कारण अचानक ही सब कुछ रोक देना पड़ा। अब हम सभी धीरे-धीरे इस संकट से बाहर आ रहे हैं। ‘जान भी और जहान भी’ को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को पुनः कैसे प्रारम्भ किया जाये, सत्र नियमन बिगड़ने न पाये तथा छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा निर्देशित मानकों के अनुसार व्यापक कार्य योजना बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन, परीक्षा, शोध, शिक्षण सहित अन्य कार्य भविष्य की सुरक्षा के साथ किये जाने चाहिए।
श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश के विकास का रास्ता उन्नत गांव से होकर गुजरता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। केन्द्र एवं राज्य सरकार कोरोना महामारी और लाॅकडाउन के कारण आर्थिक समस्याओं से जुझे रहे ग्रामीण परिवारों को रोजगार से जोड़ने के लिए अनेक कल्याणकारी कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालय ग्रामीण संसाधनों, श्रम शक्ति और कृषि तकनीकी को समृद्ध करने में अपनी भूमिका निभायें। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय गाॅव और किसानों के साथ मजबूती से खड़े होने का है।
इस अवसर पर प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय, प्रयागराज की कुलपति प्रो0 संगीता श्रीवास्तव, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आलोक राय, छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 नीलिमा गुप्ता, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के कुलपति प्रो0 जे0वी0 वैश्म्पयान, गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आर0एस0 दुबे जी देश एवं विदेश से अन्य महानुभाव इस वेबिनार से जुड़े हुए थे।

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