पूर्व राज्यपाल राम नाईक पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के लिये ‘साहित्य शिरोमणि पुरस्कार’ से सम्मानित

हिन्दी-उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी द्वारा किया गया ऑनलाइन सम्मान समारोह का आयोजन

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लखनऊ (ज़मीनी सच)-उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक को आज हिन्दी-उर्दू साहित्य कमेटी, लखनऊ द्वारा आयोजित ‘रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी 20वें अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन’ में पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ के लिये साहित्य जगत के विख्यात ‘साहित्य शिरोमणि पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कोविड-19 के दृष्टिगत आॅनलाइन किया गया था जिसमें अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलन के अध्यक्ष एवं हमदर्द विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति प्रो0 एहतिशाम हसनैन, अवार्ड कमेटी के अध्यक्ष एवं पद्मभूषण प्रोफेसर गोपीचंद नारंग, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री दानिश जावेद, भारतीय जनता पार्टी मुंबई के अध्यक्ष एवं विधायक श्री मंगलप्रभात लोढा, गोरेगांव मुंबई की विधायक तथा पूर्व राज्यमंत्री श्रीमती विद्या ठाकुर, साहित्यिकार एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ0 सलीम खान, साहित्यिकार श्री वीरेन्द्र याज्ञिक, कार्यक्रम के सूत्रसंचालक डॉ0 सागर त्रिपाठी, लखनऊ स्थित समिति के महासचिव एडवोकेट अतहर नबी और लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो0 अब्बास रजा नैय्यर, संस्था व्हीनस कल्चरल एसोसिएशन मुंबई के अध्यक्ष श्री जयप्रकाश ठाकुर, अवार्ड कमेटी के मुंबई के प्रतिनिधि श्री असलम खाँ सहित बड़ी संख्या में लोग आॅनलाइन माध्यम से जुड़े हुए थे।पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक ने फिराक गोरखपुरी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर होने के बावजूद भी उन्होंने उर्दू साहित्य में महान रचनाएं की एवं अपनी पहचान बनाई। श्री नाईक ने कहा कि सभी भारतीय भाषाएं आपस में बहनें हैं। भाषा एक इंसान से दूसरे इंसान को जोड़ने तथा आपसी प्रेम एवं भाईचारे को बढ़ाने का काम करती हैं। भारतीय दर्शन में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ को आत्मसात किया गया है जिसका अर्थ है संपूर्ण विश्व एक परिवार है। श्री नाईक ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वापजेयी जी ने ‘जय जवान-जय किसान’ में ‘जय विज्ञान’ जोड़कर देश को विकास की राह दिखायी थी। आज का कार्यक्रम उसी विज्ञान की देन है कि वे मुंबई से समारोह में शामिल हैं तो आयोजकगण दिल्ली एवं लखनऊ से जुड़े हुए हैं और सैकड़ों जगह के लोग उन्हें सुन रहे हैं।

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